अंधेरी निशा मई नदी के किनारे,
धधकति किसी की चीता जल रही है.
चीता मई किसी का मधुर प्रेम जलता,
निशानी किसी की मिटी जा रही.
डोर से देखकर,
नदी की एक धारा,
बहे किसी के नयन से अश्रढ़रा.
धारा पूछती है,
गगन बोलता है,
धूए की ये रेखा कहा जा रही ?
पद्द ने कहा, सिर हिलाके लता को,
मानो जीवन की कहानी यही है,
मिलन के समय से विरह के समय तक,
धूए से कहानी लिखी जा रही है
हर्ष वर्धन
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